रविवार, 26 जनवरी 2014

हमारे आदर्श वाक्य-
हमारे संबिधान निर्माताओं में भिन्न-भिन्न पूजा पद्दीतियों को माननेवाले लोग थे,किन्तु वे सभी जानते थे कि भारत जैसे वहुविध समाज का प्रजातांत्रिक वने रहना तभी संभव है जव हम हमारे परम्परागत हिन्दू मूल्यों को महत्व देगें,इसीलिए हिन्दू परम्परा की मूल व्यवस्था ने संविधान रूप में प्रशासनिक इकाईओं को प्रेरित किया। यथा-
१- भारत सरकार- सत्यमेव जयते (अशोक चक्र )
२- लोक सभा- धर्मचक्र प्रवर्तनाय 
३-सर्वोच्च न्यायालय -यतो धर्म: ततो जय:
४-आकाशवाणी -बहुजन हिताय 
५-दूरदर्शन-सत्यम शिवम् सुन्दरम 
६-भारतीय सेना-सेवा अस्माकं धर्म 
७-भारतीय जल सेना-शन्नो वरुण: 
८-भारतीय वायु सेना-नभ: स्पृशम् दीप्तम 
९-दिल्ली विश्वविद्यालय -निष्ठां धृति सत्यम 
हमारा सूत्र वाक्य है-यतो धर्म: ततो जय:

ये सभी आदर्श वाक्य हमारी हिन्दू परम्परा के आदर्श वाक्य हैं जो हमारे संबिधान के आधार हैं।