मंगलवार, 3 जुलाई 2012

गुरु पूर्णिमा उत्सव

आत्मीया भगिनी!
                          गुरु पूर्णिमा उत्सव राष्ट्रसेविका समिति के प्रमुख पाँच उत्सवों में से एक है। हिन्दूसमाज
में ऐतिहासिक ,धार्मिक ,और पवित्र माने  जाने बाले परम पवित्र भगवा ध्वज को समिति ने गुरु रूप में स्वीकार किया है।क्योंकि भारतमाता के प्रति भक्ति का प्रतीक यह भगवा ध्वज भूत,भविष्य और वर्तमान में हमारे स्वाभिमान का प्रतीक है।ऐसे इस श्रेष्ठतम गुरु के सम्मुख ध्वज प्रणाम करते हुए प्रत्येक आदर्श सेविका के मन में एक ही भाव  आता है- इदं राष्ट्राय इदं न मम। यह है हमारा अपने गुरु के प्रति समर्पण का भाव।समर्पण अर्थात श्रेष्ठतम आदर्श,विचार,आचार एवं भावना के सम्मुख सर्वस्व अर्पण।हम अपने गुरु के अनुरूप कैसे श्रेष्ठतम वनें,यह विचार भी हमारा समर्पण ही है।ये समर्पण प्रतीक है-अपने समाज के प्रति त्याग,अपने कार्य के प्रति अपनत्व,और सांसारिक माया के प्रति निर्मोह का। संक्षेप में राष्ट्रजीवन में भारतमाता के प्रति तन मन धन अर्पण करने का भाव ही समर्पण है। हम सेविका बहिनों ने स्वयं प्रेरणा से समाजहित में संकल्प लिया है।हमारा समर्पण का यह संकल्प प्रभावी हो,आज के इस पावन  अवसर पर अपनी यही आकांक्ष। है।