चूल्हा गोल
रोटी गोल
गोलगोल रोटी बेलती लडकी के
सपने सारे गोल-गोल
गोल-गोल रोटी बेलती लड़की देख रही है
चंदा गोल सूरज गोल
हैं लोगों की नज़रें भी गोल-गोल
फिर एक दिन गोल-गोल रोटी बेलती लड़की
बनकर औरत सोच रही है
माथे की बिंदी गोल चूडी गोल, बाली गोल
कौन अपना, कौन पराया सब कुछ है गोल-गोल
गोल-गोल
रोटी बेलती औरत कभी घर की धुरी बन
कभी परिवार की परिधि पर
घूमती रही ताउम्र गोल-गोल
फिर एक दिन गोल-गोल रोटी बेलती औरत
होकर बूढी सोच रही है
दुनिया की हर बात गोल
दिखती है हर चीज गोल
और फिर एक दिन बूढ़ी औरत
खुद भी हो गई गोल-मोल।
रोटी गोल
गोलगोल रोटी बेलती लडकी के
सपने सारे गोल-गोल
गोल-गोल रोटी बेलती लड़की देख रही है
चंदा गोल सूरज गोल
हैं लोगों की नज़रें भी गोल-गोल
फिर एक दिन गोल-गोल रोटी बेलती लड़की
बनकर औरत सोच रही है
माथे की बिंदी गोल चूडी गोल, बाली गोल
कौन अपना, कौन पराया सब कुछ है गोल-गोल
गोल-गोल
रोटी बेलती औरत कभी घर की धुरी बन
कभी परिवार की परिधि पर
घूमती रही ताउम्र गोल-गोल
फिर एक दिन गोल-गोल रोटी बेलती औरत
होकर बूढी सोच रही है
दुनिया की हर बात गोल
दिखती है हर चीज गोल
और फिर एक दिन बूढ़ी औरत
खुद भी हो गई गोल-मोल।