आराधना और बंदना के स्वर हे माँ सुन लीजिये
वस ज्ञान हमको दीजिये माँ भीरुता हर लीजिये ।
हमको सुपथ पर ले चलो सर्वत्र गुण उपलब्ध हों
हम तिमिर तापों से वचें आशीष हमको दीजिये ।
हम नेत्र कर्णेव वाक सुख देखे सुने वोले सदा
हम कुटिल तापों से वचें हे मात करुणा कीजिए ।
मै इन्द्र हूँ मेरी इन्द्रियाँ वश में रहें मेरे सदा
ये परास्त हो सकती नहीं यह भावना भर दीजिये ।
झोली पसारे हम सभी दर पर उपस्थित हैं सभी
हम भक्ति भिच्छा माँगते हे मात हमको दीजिये ।।
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