शनिवार, 4 फ़रवरी 2012

माँ की वन्दना

आराधना और बंदना के स्वर हे माँ सुन लीजिये 
वस ज्ञान हमको दीजिये माँ भीरुता हर लीजिये ।

                    हमको सुपथ पर ले चलो सर्वत्र गुण उपलब्ध हों 
                    हम तिमिर तापों से वचें आशीष हमको दीजिये ।

हम नेत्र कर्णेव वाक सुख देखे सुने वोले सदा 
हम कुटिल तापों से वचें हे मात करुणा कीजिए ।

                    मै इन्द्र हूँ मेरी इन्द्रियाँ वश में रहें मेरे सदा 
                    ये परास्त हो सकती नहीं यह भावना भर दीजिये ।

झोली पसारे हम सभी दर पर उपस्थित हैं सभी 
हम भक्ति भिच्छा माँगते हे मात हमको दीजिये ।।      

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