चलने का वर दे दो चाहे पथ कंटकमय हो चाहे पथ कंटकमय हो ।।
मैं पुनीत पथ का राही वन
सुख संसृति खो ले विद्धुत कण
जीवन ज्योति जलाऊ जल जल
जलने का वर दे दो चाहे जलन दाहमय हो।।१।।
दावानल तूफान भले ही
आयें सम्मुख मुझे हटाने
हटूं नही मर मिटू भले ही
मरने का वर दे दो चाहे मरण दाहमय हो।।२।।
पंथी बढ़ता स्वर्ग डगर पर
तेरे पद चिन्हों पर पग रख
बढ़ती शत-शत पांति नमित हो
बढ़ने का वर दे दो चाहे गिरने का भय हो।।३।।
काँटों से कट जाए कदम ही
चलें उन्हीं काँटों पर पुनि पुनि
कट कट अंग गिरे धरती पर
सहने का वर दे दो चाहे तिल-तिल कर छय हो।।४।।
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