एक दिन विनोवा जी के पास कालेज के कुछ छात्र आए।विनोवा जी ने उन्हें
कागज़ के कुछ टुकडे देते हुए कहा-इन टुकड़ों से भारत का नक्शा बनाना है।
विध्यार्थी बहुत देर तक सिर खपाने के बाद भी उन टुकड़ों को जोड़कर भारत का नक्शा नहीं बना सके।पास ही एक नौजवान युवक बैठा हुआ यह सब देख रहा था।कुछ साहस करके बिनोवा जी से बोला-आप यदि आज्ञा दें तो मैं इन टुकड़ों को जोड़ दूँ।
बिनोवा जी की आज्ञा पाकर कुछ ही देर में उस युवक ने वे टुकडे जोड़कर भारत का नक्शा बना दिया।बिनोवा जी ने उससे पूछा-तुमने इतनी जल्दी इन टुकड़ों को कैसे जोड़ दिया?युवक ने कहा-इन टुकड़ों में एक तरफ भारत का नक्शा है तथा दूसरी तरफ आदमी का।मैंने आदमी को जोड़ा,भारत अपने आप बन गया।
यह सुनकर विनोबा जी बोले- ठीक है,यदि हमें देश को जोड़ना है तो पहले आदमी को जोड़ना पडेगा।आदमी जुड़ेगा तो देश अपने आप जुड़ जाएगा।
कागज़ के कुछ टुकडे देते हुए कहा-इन टुकड़ों से भारत का नक्शा बनाना है।
विध्यार्थी बहुत देर तक सिर खपाने के बाद भी उन टुकड़ों को जोड़कर भारत का नक्शा नहीं बना सके।पास ही एक नौजवान युवक बैठा हुआ यह सब देख रहा था।कुछ साहस करके बिनोवा जी से बोला-आप यदि आज्ञा दें तो मैं इन टुकड़ों को जोड़ दूँ।
बिनोवा जी की आज्ञा पाकर कुछ ही देर में उस युवक ने वे टुकडे जोड़कर भारत का नक्शा बना दिया।बिनोवा जी ने उससे पूछा-तुमने इतनी जल्दी इन टुकड़ों को कैसे जोड़ दिया?युवक ने कहा-इन टुकड़ों में एक तरफ भारत का नक्शा है तथा दूसरी तरफ आदमी का।मैंने आदमी को जोड़ा,भारत अपने आप बन गया।
यह सुनकर विनोबा जी बोले- ठीक है,यदि हमें देश को जोड़ना है तो पहले आदमी को जोड़ना पडेगा।आदमी जुड़ेगा तो देश अपने आप जुड़ जाएगा।
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