शुक्रवार, 24 फ़रवरी 2012

तेजोमय भारत

भारत अर्थात प्रकाश या ज्ञान में निरंतर संलग्न रहने बाला।भारत नाम से ही उसके गुण प्रकट होते हैं।दूसरों को ज्ञान या प्रकाश देना यह कार्य भारत का हमेशा से रहा है।यह भाव बहाँ रहने बाले लोगों के व्यवहार से प्रकट होता है।अपनी सेवाबृति के कारण यहाँ के लोगों ने औरों की भी रक्ष1 की है।आध्यात्मिक शिक्ष। और स्वास्थ्य रक्ष। की दृष्टि से भारत के लोग सदैव से और देशों में जाते रहे हैं।यहाँ की आयुर्वेद चिकित्सा सवसे प्राचीन हैं।विश्व को साहित्य, कला, विज्ञान, गणित आदि का अतुल ज्ञान भण्डार देने बाला भारतबर्ष ही है।विश्व में आज भी गीता पठन को महत्त्व दिया जा रहा है।हमारे देश की आई.आई टी इंजीनियर्स के रूप में आज की युवा पीढ़ी की धाक सम्पूर्ण विश्व में है।प्रक्षेपण केंद्र के रूप में बिज्ञान की अनेक तकनीकों के कारण भारतीय प्रतिभा आज भी अपना लोहा विश्व में मनवा चुकी है।वास्तव में"हिन्दुधर्मो विजयताम"यही अंतिम सत्य है।इसीलिए संस्कृति, कला, विज्ञान,नैतिकता और आध्यात्मिकता की दृष्टि से भारत तेजोमय था,है,और रहेगा। 



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