शुक्रवार, 30 मार्च 2012

नेतृत्व कैसा हो

स्वामी विवेकानंद यह आध्यात्मिक नेतृत्व था, ऐसा हम कहते है| लेकिन उन्होंने, विज्ञान, पर्यावरण, संस्कृति, धर्म इन सब विषयों के बारे में अपने मौलिक विचार रखे| उनका चिंतन आज भी मार्गदर्शक है| उन्होंने जो विचार रखे, उनसे स्वाधीनता आंदोलन को भी दिशा मिली थी| युवकों का नेतृत्व संवेदनशील, नि:स्वार्थ, पारदर्शक, जवाबदेही और त्यागी होना चाहिए|  लालबहादूर शास्त्री प्रधान मंत्री बनने के बाद उनका लड़का जिस कंपनी में नौकरी करता था, उस कंपनी ने उसे वेतनवृद्धि और पदोन्नति दी थी| शास्त्री जी को यह बात पता चली तब उन्होंने अपने लड़के से कहा, ‘‘तू उस कंपनी से त्यागपत्र दे|’’ लड़के ने कहा, ‘‘उन्होंने मुझे पदोन्नति दी और मैं त्यागपत्र कैसे दे दूँ?’’ शास्त्री जी ने कहा, ‘‘तुम त्यागपत्र नहीं दोगे तो मैं मेरे पद से त्यागपत्र देता हूँ|’’ इतनी नि:स्पृहता नेतृत्व में होनी चाहिए| नेतृत्व के मार्ग में मोहमाया के कई प्रसंग आते है| उनमें फँसना नहीं चाहिए| तत्त्वों के साथ कहीं भी समझौता नहीं करना चाहिए|    
कृपया अपनी राय अवश्य लिखें। सधन्यवाद-------  

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