निवेदिता
डा.मालती मिश्रा का ब्लॉग
गुरुवार, 15 नवंबर 2012
मनुष्य की पहचान
उसके धन या आसन से नहीं होती
उसके मन से होती है
मन की फकीरी पर
कुवेर की सम्पदा भी रोती है।
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