मंगलवार, 1 जनवरी 2013

नया साल

सब कहते हैं यह नया साल 
कैसे मैं यह विश्वास करूं 
,कैसे उसका सम्मान करूं।।
सन-सन ध्वनि करता समीर ,
वृक्षो से झर-झर झरा नीर ,
कांपा जगती का सुप्त गात ,
सब कहते हैं यह नया साल।। कैसे में--    
दृग बन्द किये ही विहग बृंद
चिपटा सा तरुओं  के उर पर
केवल आकुलता पूर्ण कहीं-
से ही आता है विरल स्वर
उत्सुक सा वाहर झाक-झाक 
भय से पीछे हो कॉप -कॉप
                सब कहते हैं यह नया साल।।कैसे मैं---
ठिठुरा जीवन सिहरा तन मन
सिमटे-सिमटे सब पक्षीगण
क्या यही है अपना नया साल
मत कहो इसे तुम नया साल
जव होगा अपना नया साल
झूमेगी धरती होगी निहाल
तव कहना अपना नया साल
मत कहो  इसे तुम नया
सव कहते हैं यह नया साल
कैसे मैं यह विश्वास करूं
कैसे उसका सम्मान करूं।।

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