मंगलवार, 29 जनवरी 2013

देशहित


कुछ दिन पूर्व भारत के गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने एक गैर जिम्मेदारी का बयान जारी किया।उनके अनुसार संघ शिबिरों में आतंकवाद का प्रशिक्षण दिया जाता है।उनके इस वेतुके वक्तव्य से एक ओर जहाँ सीमापार के आतंकवादियों को बल मिला, बही दूसरी ओर भारत के भीतर बैठे घुसपेठियों को भी शह मिली है। इससे पूर्व गृहमंत्री रहे चिदम्बरम ने भी भगवा आतंकवाद का शिगूफा छोड़ा था।राहुल को भी संघ और सिमी में कोई अंतर नजर नहीं आता।वास्तव में काग्रेस पार्टी के ये सभी दिग्गज इतने वौखला और दिग्भ्रमित हैं कि उन्हें दिन और रात का अंतर भी समझ में नहीं आता।

भारत का इतिहास साक्षी है कि किसी भी संकट की घड़ी में सेना, सरकार,पुलिस और प्रशाशन से पहले सहायता के लिए संघ वाले ही खड़े दिखाई देते है। ऐसे देशभक्त और समाज सेवा के पर्याय संघ को आज विश्ब भी स्वीकार कर रहा है।सच तो यह है कि आज संघ की शक्ति बहुत बढ़ गइ है,इसीलिए भ्रष्टाचार और अनाचार में आकंठ तक डूवे हुए लोगों द्वारा उसे गाली भी मिल रहीं हैं।जिस दिन बंद हो जायेगीं, संघ को विचार करना पड़ेगा। स्वामी विवेकानन्द कहा करते थे कि -किसी भी श्रेष्ठ विचारधारा को तीन श्रेणियों में होकर निकलना पड़ता है-पहली उपेक्षा दूसरा बिरोध और तीसरा समर्थन। विजय सुनिश्चित है किन्तु मार्ग भी कंटकाकीर्ण ही है।तपकर ही सोना कुंदन बनता है इसलिए संघ को मिलने बाली गालियाँ भी देशभक्तों के लिए उपहार स्वरूप ही हैं।इसलिए प्रत्येक देशभक्त को किसी से भयभीत हुए बिना संगठन के माध्यम से देश को सबल बनाने का काम करते रहना ही आज के समय की सबसे बड़ी आबश्यकता है।

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