रविवार, 28 जुलाई 2013

बैठक में पारित प्रस्ताव

                                                                      ऊँ
                 
                                                         राष्ट्र सेविका समिति 
                                                    देवी अहल्या मन्दिर, धन्तोली, नागपुर

                          अखिल भारतीय कार्यकारिणी तथा प्रतिनिधिमण्डल बैठक 
                                                 देवलापार जुलाई २०१३
प्रस्ताव क्रमांक १-

उत्तराखण्ड में आई दैवी विपदा-
दिनांक १५-१६ जून २०१३ को उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्र में अतिवृष्टि एवं बादल फटने से दैवी आपदा निर्माण हुई/ भागीरथी अलकनन्दा,गंगा,सोलानी,रमताऊ,पथरी,आदि नदियों में भीषण बाढ़ आयी जो अनेक गाँव, अनेक मकान,अनेक व्यक्तियों को अपने साथ बहा ले गयी/ लगभग १०,००० से अधिक व्यक्ति इस त्रासदी में मारे गये होंगें, ऐसा अनुमान है/

उत्तराखण्ड का ५३,४८० वर्ग कि. मी. से ४०. ००० वर्ग कि. मी . क्षेत्र इस प्रलय से बाधित हुआ है/ प्रदेश के १५ ,७६१ गांवों में से ६०० से अधिक गाँव बाढ़ प्रभावित हैं  और २०० गाँव पूर्णत: नष्ट हो गये हैं इस प्रदेश का ८६% क्षेत्र पहाड़ी है जो अधिक प्रभावित हुआ है/

इस प्रलयकारी बाढ़ में उत्तराखंड के अधिकांश मार्ग वह गये हैं/राष्ट्रिय मार्ग १०९,७२,७८,आदि अनेक स्थानों पर टूट गये या बह गये हैं/अत: आवागमन अत्यंत प्रभावित हो गया है केदारनाथ रामबाड़ा,गौरीकुंड,चमोली,चंबा,रुद्रप्रयाग  उत्तरकाशी आदि स्थानों पर प्रलय का परिणाम तीव्र हुआ है  चारो  यात्रा करनेवाले अनेक तीर्थयात्री केदारनाथ,बद्रीनाथ  अटक गये थे

प्रलय की इस विभीषिका में भारतीय सेना  एवं इंडो तिब्बत बार्डर फ़ोर्स के बहादुर जबानों ने जानपर खेलकर स्थानीय लोगों की और तीर्थयात्रियों की जान बचाई और उन्हें ढाढस बधाया ,उनकी मदद की, विविध धार्मिक संस्थानों व् मठों का भी कार्य में सहयोग रहा है इसका कृतज्ञता पूर्वक व् गौरवपूर्ण उल्लेख राष्ट्र सेविका समिति करती है/

बाढ़ की इस विभीषिका को देखते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने सेवा भारती व् अन्य सहयोगी संगठनो के साथ मिलकर उत्तराखंड दैवी आपदा पीड़ित समिति का गठन किया और मदद कार्य प्रारंभ किये/ राष्ट्र्सेविका समिति का भी इस कार्य में पूर्ण सहयोग है/ मदद कार्य करते समय दो बड़ी चुनौतियाँ सामने थीं-
१- स्थानीय लोग जिनके परिवारवाले इस प्रलय में मारे गये हैं और वो विस्थापित हो गये हैं,उन्हें आवास कपडे भोजन और पानी उपलब्ध कराना/
२--तीर्थयात्री और पर्यटकों को उनके गंतव्य स्थान तक पहुँचाने में मदद करना/

जहाँ रास्ते टूट गये हैं वहां पर कार्यकर्ता पीठ पर सहायता सामिग्री बांधकर कई कि,मी पैदल चलकर गये हैं/अनेक स्थानों पर विस्थापितों के रहने की और भोजन की व्यवस्था की गयी है/ चारो धाम यात्रा का बेस केम्प चंबा के शिबिर में २२ जून से १२,००० से भी अधिक पीड़ितों को भोजन कराया गया है/

राष्ट्र्सेविका समिति का मानना है कि यह जितनी दैवी आपदा है उतनी ही मनुष्य निर्मित आपदा भी है/ विकास के नाम पर उत्तराखंड समवेत समूचे उत्तर भारत के पहाड़ी क्षेत्र के साथ जो खिलबाड़ की जा रही है उससे पर्यावरण में असंतुलन निर्माण हुआ है और इसी कारण ऐसी आपदाएं बार बार आ रहीं हैं/ जून २०१३ के त्रासदी का लघुरूप उत्तराखंड में सितम्वर २०१० में भी देखा गया था किन्तु उससे सीख न लेते हुए हमने प्रकृति के साथ खिलबाड़ जारी रखा/

उत्तराखंड में जल विद्युत् निर्माण करने के नाम पर अनेक विद्युत् निर्माण गृह वनाये गये/ वर्तमान में २०० जल विद्युत् योजनाये चल रही हैं जिनमें ३,१६,४७५ मेगावाट विजली निर्माण होती है/ ६०० प्रस्ताव और हैं यहाँ २५,००० मेगावाट बिजली निर्माण हो  सकती है ऐसा विकास का पक्ष लेने बालों का मत है यदि ये प्रस्तावित योजनायें प्रत्यक्ष में आती हैं तो उत्तराखंड की जो दुर्दशा होगी वह कल्पना से भी परे है/उत्तराखंड में ४२ बांध तैयार हैं और २०३ बांध प्रस्ताविक हैं अर्थात प्रत्येक ६-७ क़ि,मी,पर एक बांध मिलेगा/ एक वासुकी ताल (गाँधीसरोवर) के टूटने से इतना प्रलय आया जब इतने बांध बनेगें तो पर्यावरण तो नष्ट होगा ही/ परन्तु प्रदेश को प्रलय का खतरा हमेशा बना रहेगा यह क्षेत्र भुकम्पप्रवण क्षेत्र है अभी १९९१ और १९९९ में उत्तरकाशी के आसपास विनाशकारी भूकम्प आया था घाटी में मानव की बढती दखलंदाजी आपदाओं को न्योता दे रही है इसके ये उदाहरण हैं/

अन्तरिक्ष उपग्रह केन्द्र के वृत्त में इस विनाश का मुख्य कारण मन्दाकिनी नदी का बोल्डर आना बताया गया युसेक ने सरकार को दिए वृत्त में यह बात कही है साथ ही वेहिसाव निर्माणकार्यों पर आक्षेप लिया है/ यात्राकाल में श्रध्दालुओं के साथ केवल धनप्राप्ति की होड़ से आनेबाले लोगों की अनावश्यक भीड़ जमा होती है घाटी में आनेबाले पर्यावरणविदों का भी कहना है कि दशकों से प्राकृतिक संसाधनों से किये जा रहे खिलवाड़ का यह परिणाम है जल,जंगल एवं खनिज संपति का शोषण हो रहा है/

अत: राष्ट्र सेविका समिति का स्पष्ट मत है कि पर्यावरण तथा निसर्ग से खिलवाड़ करके निर्माण होने वाली प्रत्येक योजना छोड़ देनी चाहिए/ विकास की अवधारणा भारतीय परिप्रेक्ष्य में अर्थात पर्यावरण को संतुलित रखते हुएक्रियान्वित करनी चाहिए \\
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प्रस्ताव क्रमांक २-

चीन भारत की आंतरिक एवं वाह्य सुरक्षा तथा अर्थव्यवस्था के लिए खतरनाक चुनौती वन गया है परन्तु यह दुर्भाग्य है कि देश के सभी चिंतकों, सुरक्षा विशेषज्ञों एवं सैन्य सलाहकारों की चेतावनी के वावजूद केंद्र सरकार न केवल इस खतरे की अनदेखी कर रही है अपितु इस दिशा में आपराधिक लापरवाही वरत रही है/ भारत और चीन की सीमा पर मेंकमोहन लें यह कल्पित सीमा रेखा है और यही भारत और चीन के तनावपूर्ण सम्बन्धों की जड है/ कुछ दिन पूर्व चीन की सेनाएं जिस तरह भारत की सीमाओं में घुस गयी थीं और जिस प्रकार भारत सरकार ने इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त की थी उससे चीन के इरादे और भारत सरकार की इस बिषय में लापरवाही दोनों ही स्पष्ट हो जाते हैं/

चीनी सेनाएं भारतीय सीमा के २७ कि,मी,अंदर घुसकर अपने टेंट गाड़ देती है, और चीनी सीमा का फलक भी लगा देती है परन्तु केंद्र सरकार पहले तो इस बिषय पर उलझी रहती है कि चीनी सेनाएं १५ कि. मी. घुसी हैं या २० क़ि. मी . उसके बाद भारत के प्रधानमन्त्री इसको स्थानीय समस्या कहकर भारत की संप्रभुता पर हुए इस हमले को  हल्के से लेती है भारतीय प्रचारतंत्र तथा कुछ राजनीतिज्ञों के व्दारा शोर मचाये जाने पर चीनी प्रचारतंत्र और भारत सरकार को धमकाते हुए इस शोर को बंद करने की चेतावनी देते हैं अन्ततो गत्वा चीन ने अपने सैनिक कुछ पीछे तो हटा लिए परन्तु भारत सरकार ने भी अपने सैनिकों को अपनी ही सीमा में स्थित कुछ बंकर हटाने का आदेश दिया १९५० में चीन ने ९०,००० वर्ग कि. मी . क्षेत्र पर अपना दावा प्रस्तुत कर दिया था /१९६२ में सीधे युध्द में भारत की पराजय हुई उसके बाद भी प्रत्यक्ष युध्द के बिना भारतीय भूमि पर चीन का अधिकार बना रहा है इस सम्पूर्ण बिषय पर भारतीय सरकार प्रखर प्रतिकार की कोई योजना नहीं बना पाई है/

चीन व् पाकिस्तान का गठबन्धन इस खतरे को कई गुना बढ़ा रहा है/ ग्वादर बंदरगाह को विकसित करने के नाम पर  चीन ने पाकिस्तान और पाकव्यास कश्मीर में अपना अस्तित्व दृढ किया है आज पाकव्यास कश्मीर के गिलगिट एवं बल्तिस्तान में चीन के १२,००० से अधिक सैनिक तैनात हैं और बहाँ  पर चीन ने सैकड़ों मिसाइलें भी लगा दी हैं/ श्री लंका में भी हनाबंतोता बंदरगाह को विकसित किया है/ वगलादेश के चिटगांव कोक्सबा जार में भी चीन की पूरी दखलंदाजी है / म्यांमार,नेपाल वांगलादेश और श्री लंका को अपने शिकंजे में कसकर भारत को चारो और से घेर लिया है/

चीन अरुणाचल प्रदेश को भारत का हिस्सा नहीं मानता /और डंके की चोट पर ब्रह्मपुत्र पर बांध बनाने की योजना विकसित की है जिससे अरुणाचल प्रदेश की जलापूर्ति व् जलनीति प्रभावित होगी /दुर्भाग्य से महाराष्ट्र शासन के पाठ्यपुस्तकों में से भी पूरा अरुणाचल प्रदेश ही गायव कर दिया गया यह अत्यंत निंदनीय है/

चीन भारत को खोखला करनेबाले नक्सली आन्दोलन को अपरोक्ष मदद दे रहा है/ नक्सली आतंकियों के पास चीनी बनाबट की बंदूकें और अस्त्र शस्त्र मिलना इस बात का प्रमाण है पूर्वाचंल के आतंकवादी संगठन और बांग्लादेशी आतंकबादी संगठन हज़ा के आतंकियो के पास से भी चीनी बनावट के शस्त्र मिले हैं/

चीन ने योजनाबध्द तरीके से भारतीय अर्थव्यवस्था को कमजोर बनाने का प्रयास जारी रखा है/ भारतीय बाजारों में चीनी उत्पाद इतने अधिक आ गये हैं कि अब कई क्षेत्रो में भारतीय कारखानों पर ताले लग चुके हैं /चीनी उत्पादों पर यह निर्भरता भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक विनाशकारी संकेत है/ चीन ने अब तिब्बत के क्षेत्र से निकल रही नदियो पर असंबैधानिक रूप से बांध बनाकर इन नदियों को हथियार के रूप में उपयोग करने की नीति अपनाई है/

अभी अभी चिन और पाकिस्तान के बिच १८ बिलियन डालर्स का करार हुआ है जिसमें दोनों देशों के बीच २०० कि. मी . लंबा सुरंग बनाने का निश्चय किया है/ यह सुरंग पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह से उत्तर पश्चिम चीन तक बनाया जायेगा इससे तेल आदि उत्पादों का आयत निर्यात आसान हो जायेगा और पाकिस्तान की आर्थिक व्यवस्था सुदृढ़ होगी/ सबसे चिंता का बिषय है कि इस प्रकार का निर्माण भविष्य में केदारनाथ जैसी आपदा को खुला निमंत्रण दे रहा है इसका प्रखर विरोध होना चाहिए/

हाल ही में हमारे विदेशमंत्री महोदय सलमान खुर्शीद ने कहा कि हमें भारत और चीन के सीमारेखा के बिषय में निर्णय लेने की कोई  जल्दी नहीं है इससे ही भारत सरकार की भूमिका स्पष्ट हो जाती है

अत: राष्ट्र सेविका समिति की यह प्रतिनिधि सभा भारत सरकार की भूमिका का प्रखर बिरोध करते हुए सरकार से मांग करती है क़ि अव उन्हें कुम्भकर्णी निद्रा को त्याग कर चीन की रणनीति का अध्ययन कर मुंह तोड़ जबाब देने की तैयारी करनी चाहिए/ हमारे देश में चीन की हर चुनौती का जबाब देने की पूरी क्षमता है /इस चुनौती का उत्तर देने के लिए हमारे निम्नलिखित सुझाब हैं-

१-चीन के षडयन्त्रोंका अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रचार किया जाना चाहिए जिससे चीन पर दबाब बनाया जा सके/

२-चीन की सैन्य क्षमता को ध्यान में रखते हुए भारत की सेना का आधुनिकीकरण किया जाना चाहिए/

३- भारतीय बाजारों में चीनी उत्पादों की खुली एवं निर्बाध विक्री पर रोक लगाई जानी चाहिए/

४-भारत के संवेदनशील क्षेत्रो में चीनी नागरिकों के प्रवेश पर रोक लगनी चाहिए/

५-भारत समेत १४ देशों की सीमाएं चीन से जुडी हुई हैं और भारत छोड़कर बाकि १३ देश तुलना में छोटे हैं /उन्हें अपने अस्तित्व की चिंता है/ ये चाहते हैं कि चीन विरोधी अभियान का भारत नेतृत्व करे और चीन के चंगुल से उन्हें बचाए/ अत: राष्ट्र सेविका समिति की यह प्रतिनिधि सभा भारत सरकार से अनुरोध करती है क़ि इस बिषय पर ठोस कदम उठाये /                        
                                
                                         

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