निवेदिता
डा.मालती मिश्रा का ब्लॉग
शनिवार, 31 मई 2014
मनुष्य की पहचान उसके धन या आसन से नहीं होती उसके मन से होती है मन की फकीरी पर कुवेर की सम्पदा भी रोती है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें