यद्यपि कथनी और करनी में पूर्णत:समानता संभव नहीं ,किन्तु फिर भी हमें सोच-समझ कर वोलना चाहिए ।क्योंकि कथनी और करनी में समानता होने से हमारी वात का सामने वाले पर अच्छा प्रभाव पड़ता है।साथ ही विश्वास होने से व्यवस्था भी ठीक रहती है।कथनी करनी एक होने पर कहने वाले की वाणी प्रभावशाली हो जाती है।इससे श्रेष्ठ चरित्र का निर्माण होता है।एक सी वात कहने वाले के प्रति और लोगों के मन में श्रद्धा उत्पन्न हो जाती है।राजा दशरथ एबं मोरद्वजआदि महापुरुषों ने वचन पूरा करने के लिए ही अपने प्राणों की भी परवाह नहीं की।इसलिए जो संकल्प लिया जाय वह व्यवहार में भी हो।
sahi kha aapne 'pran jaye pr wachan na jaye'esa karna kathin to hota hai pr asambhaw to nhi hota...
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