गुरुवार, 9 फ़रवरी 2012

व्यक्तित्व की श्रेष्ठता

व्यक्ति की पहिचान उसके व्यक्तित्व से ही होती है। आकर्षक व्यक्तित्व से समाज में लोकप्रियता मिलती है।व्यक्तित्व जन्मजात नहीं,बल्कि उसे बदला जा सकता है। श्रेष्ठ व्यक्तित्व के लिए व्यक्ति के मन में अपने जीवन का लछ्य स्पष्ट होना चाहिए।इतना ही नहीं लछ्य प्राप्ति के लिए निरंतर प्रयास भी आवश्यक है।अपने कार्य के प्रति निष्ठा होनी चाहिए।स्व- सहानुभूति को अलग रख आत्ममंथन करना व्यक्तित्व विकास के लिए अति आवश्यक है।मानसिक ऊर्जा को नियमित कर चिंतन दिशा को सदैव स्रजनात्मक रखना चाहिए।महापुरुषों के जीवन से शिच्छा,अच्छे लोगों की संगति व्यक्तित्व विकास का आवश्यक आयाम है।स्वाध्याय करने से ज्ञान की वृध्दि होती है।कथनी-करनी में एकरूपता होने से लोग बात पर विश्वास करते हैं। इन्हीं सभी श्रेष्ठ गुणों के संवर्धन से ही व्यक्तित्व श्रेष्ठ वनता है।   

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