मंगलवार, 14 फ़रवरी 2012

ओजोन की संतुलित मात्रा आवश्यक क्यों

सूर्य की कुछ किरणें आक्सीजन को ओजोन में परिवर्तित कर देती हैं।सूर्य की हानिकारक किरणों से जीव राशि का  रक्षण ओजोन की परत द्वारा ही होता है।विश्व में औद्धोगीकरण की वृद्धि से ओजोन का भी क्षरण हुआ है जिसका प्रभाव प्राणी जगत पर पडा है। ओजोन के क्षरण से शरीर पर चकत्ते पड़ जाते हैं।शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है।तीन तरह के त्वचा के कैंसर   होने लगते हैं, इसलिए आज धूप स्नान हानिकारक हो रहा है।रक्त प्रवाह बाधित होने से शरीर में सूजन आ जाती है।सनवर्क होने लगता है।भूमध्य रेखीय क्षत्रों में गोरे लोगों को कैंसर होने की संभावना बढ जाती है।ओजोन के क्षरण से शरीर पर झुर्रियाँ जल्दी पड़ जाती हैं।ब्लड कैंसर और बेस्ट कैंसर बढ जाते हैं। १०% ओजोन की कमी से २० से ३०% तक कैंसर की संभावना बढ जाती है।अमेरिका में काफी लोग इस रोग से मर रहे हैं।आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैड में भी इस प्रकार के केस १०% बढ गए हैं।ओजोन की कमी के समान ही ओजोन की अधिकता भी हानिकारक है।ओजोन की अधिकता से आखों के रोग बढ जाते हैं।फेफड़ों का केंसर भी ओजोन की अधिकता से होता है।ओजोन ज्यादा होने पर नींद और आलस्य अधिक रहता है।जल में मछलियाँ मर जाती हैं।जैव संपदा और वनस्पति पर पीले चकत्ते और रूखापन आ जाता है।क्लोरोफींन की कमी हो जाती है।औद्योगीकरण से पौधे रोगग्रस्त हो जाते हैं।वायुमंडल के तापमान पर प्रभाव, बर्षा में एसिड की मात्रा में बढोत्तरी, समस्त प्राणी जगत की आयु कम हो जाती है\अत; ओजोन की कमी या अधिकता दोनों ही हानिकारक है। 

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