शुक्रवार, 18 मई 2012

आज सारी दुनियाँ संस्कृत भाषा के महत्व को स्वीकार कर रही है|अमेरिका संस्कृत को नासा के तकनीकी संदेशों के लिए अपनाना चाहता है|आज संस्कृत बर्णमाला कम्प्यूटर के लिए सर्वश्रेष्ठ भाषा मानी गयी है| ऐसे समय में यह देववाणी अपनी ही धरती पर स्वयं को अपमानित महसूस कर रही है| मेरठ के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति बिक्रमचन्द्र गोयल ने कहा-मैं नास्तिक हूँ,मेरा संस्कृत से कोई प्रेम नहीं| संस्कृत केवल हिन्दुओं की भाषा है,और ग्लोवलाइजेशन के दौर में इसका कोई मतलब नही रह गया है|इसलिए कुलपति वनने के बाद पहला फैसला यह किया कि विश्वविद्यालय में संस्कृत के एम फिल पाठ्यक्रम को बंद करवा दिया| उनकी ही तर्ज पर अव डाँ भीमराव अम्वेड़कर विश्वविद्यालय भी नए सत्र में संस्कृत पाठ्यक्रम को बंद करने की योजना बना रहा है|
                                              अपनी ही भूमि पर राष्ट्रीय भावना को शर्मसार करने बाला यह कृत्य अपने पैरों में कुल्हाड़ी मारने जैसा है| यदि भारत को समझना है तो संस्कृत जानो|`यह बात पाश्चात्य विद्वान भी स्वीकार करते हैं| ऐसे में इस धरती को अपनी माँ मानने बाले विद्वत सुधीजन? इस विषय पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है| 

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