वन्दे जननी भारत धरणी,शस्य श्यामला प्यारी,
नमो नमो सब जग की जननी, कोटि कोटि सुखकारी।।
उन्नत सुंदर भाल हिमाचल ,हिममय मुकुट विराजे उज्ज्वल,चरण पखारे विमल सिन्धु जल, श्यामल अंचल धारी।
गंगा,यमुना ,सिन्धु,नर्मदा देती पुण्य पियूष सर्वदा,
मथुरा,माया,पुरी,व्दारिका विचरे जहाँ मुरारी।।1।।
कल्याणी तू जग की मित्रा,नैसर्गिक सुषमा विचित्रा,
तेरी लीला सुभग पवित्रा ,गुरुवर मुनिवर धारी ।
मंगल करणी दारिद हरणी, तू है संकट हारी ।
ऋषिवर शूरजनों की धरणी, हरती तम भ्रम भारी।।2।।
शक्तिशालिनी दुर्गे तू है विभव-पालिनी लक्ष्म़ी तू है,वुध्दिदायिनी विद्या तू है,सब सुख सृजन हारी।
जग में तेरे लिए जियेगें,तेरा प्रेम पियूष पियेगें।
तेरी सेवा सदा करेगें, तेरे सूत बलधारी।।3।।
बन्दे जननी------
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें